बीज लेल थोड़ जगह
छोड़बा लेल तैयार रहैए धरती
ओहि ठाम पहुँचैत अछि पवन
स्वयं सेवक बनि
मेघक एक खण्ड होइए हाजिर
सूर्य अपन ताप लए
जगबै छथि बीजकें
एतबा खेल चलैत अछि
थकैत नहि छथि सूर्य
धरती ओछ नहि होइ छथि
बसात तकने फिरैत अछि परसर
बेगरता पर जुमैत अछि
गाछ लागल अछि काजमे
एक-एक पात कए बढ़ैत अछि निरन्तर
ओ फूलकें समृद्ध करत कुण्डाबोर रंगसँ
आकाश-पाताल एक कए छोड़त एग
सूर्य नहि थकलाए-ए
बसातक वेग नहि भेल-ए मन्द
धरती कृपण नहि भेलीह-ए
बीज परिपक्व करबामे भिड़ल-ए गाछ
कान्ह नहि झाँखत
जुआ नहि खसाओत
अपन प्राण दए ओ
पुष्ट करत बीज