Last modified on 8 जून 2013, at 11:51

डर / कुमार अनुपम

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:51, 8 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अनुपम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अचानक एक दिन हुआ ऐसा कि
बुद्धू मास्टर का नाम लतीफ मियाँ में तब्दील हुआ
उनके सिले कपड़ों से निकलकर आशंका की चोर-सूइयाँ
चुभने लगीं हमारे सीने में
 
हमारी अम्मा की बनाई लजीज बड़ियाँ
रसीदन चच्ची की रसोई तक जाने से कतराने लगीं
घबराने लगीं हमारी गली तक आने से उनकी बकरियाँ भी
 
सविता बहिनी की शादी और
अफजल भाई के घर वलीमा एक ही दिन था
यह कोई सन ख की रात थी
किसी धमाके का इंतजार दोनों तरफ हुआ