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गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ / फ़ाज़िल जमीली

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गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ
मैं हर गुल-रंग चेहरे को ज़ुबानी याद रखता हूँ

मैं अक्सर खो सा जाता हूँ गली कूचें के जंगल में
मगर फिर भी तेरे घर की निशानी याद रखता हूँ

मुझे अच्छे बुरे से कोई निसबत है तो इतनी है
के हर ना-मेहर-बाँ की मेहर-बानी याद रखता हूँ

कभी जो ज़िंदगी की बे-सबाती याद आती है
तो सब कुछ भूल जाता हूँ जवानी याद रखता हूँ

मुझे मालूम है कैसे बदल जाती हैं तारीखें
इसी ख़ातिर तो मैं बातें पुरानी याद रखता हूँ