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महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है / शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी

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महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है
हम में हलाक ताला-ए-बे-दार कौन है

हर लम्हे की कमर पे है इक महमिल-ए-सुकूत
लोगो बताओ क़ातिल-ए-गुफ़्तार कौन है

घर घर खिले हैं नाज़ से सूरज-मुखी के फूल
सूरज को फिर भी माना-ए-दीदार कौन है

पत्थर उठा के दर्द का हीरा जो तोड़ दे
वो कज-कुलाह बाँका तरह-दार कौन है