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पतझर-2 / अचल वाजपेयी

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हर दिन

सुबह होतेही

गुड़ की गंधाती चाय

बीमार मेमनों से

रिरियाते बच्चे

खुरदुरे पत्थर पर

घिसती वह औरत

स्वयं को

अस्वीकृत करता वह आदमी


एक पतझर

देर रात तक

लोगों के कान उमेठता है