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चूड़ियाँ / नन्दकिशोर नवल

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हवा में खनकती हैं छूड़ियाँ तुम्हारी,
झनकता है अन्धेरा
सँपेरा बजाता है बीन
नाग-सा ठनकता है मन मेरा ।