कविवर बिहारी दोहे और कवित्त
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- [[माहि सरोवर सौरभ लै[कवित्त]]
- [[है यह आजु बसन्त समौ[कवित्त]]
- [[बौरसरी मधुपान छक्यौ[कवित्त]]]
- [[जाके लिए घर आई घिघाय[कवित्त]]
- [[खेलत फाग दुहूँ तिय कौ[कवित्त]]
- [[नील पर कटि तट[कवित्त]]
- [[जानत नहिं लगि मैं[कवित्त]]
- [[वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ[कवित्त]]
- [[गाहि सरोवर सौरभ लै[कवित्त]]
- [[बिरहानल दाह दहै तन ताप[कवित्त]]
- [[सौंह कियें ढरकौहे से नैन[कवित्त]]
- [[केसरि से बरन सुबरन[कवित्त]]