मेरे जीवन की बर्फ़ पर
लिख जाते कुछ नाम
कुछ स्वप्न
कुछ इन्द्रधनुष
बार-बार --
फिर टूटते बर्फ़ में सब पुँछ जाता
या गल जाता --
अपनी छूटी हुई असंख्यता में
खड़ी मैं
खोजती एक सत्य
अन्दर की
कन्दरा में बड़ा हुआ
एक सत्य
अपना
सबसे जुड़ा हुआ ।
मेरे जीवन की बर्फ़ पर
लिख जाते कुछ नाम
कुछ स्वप्न
कुछ इन्द्रधनुष
बार-बार --
फिर टूटते बर्फ़ में सब पुँछ जाता
या गल जाता --
अपनी छूटी हुई असंख्यता में
खड़ी मैं
खोजती एक सत्य
अन्दर की
कन्दरा में बड़ा हुआ
एक सत्य
अपना
सबसे जुड़ा हुआ ।