प्रसाद का तबादला हो गया
राँची से बंबई
वे कुछ नहीं कर पाए
बीमार पत्नी राँची छोड़ आए
जो उठकर पानी नहीं पी सकती
सत्तर वर्षीय पिता भी राँची में थे
उनके गले में भोर तक अटका रहता है बलगम
प्रसाद को बिटिया के लिए वर भी देखना है
बिहार में ही
प्रसाद का तबादला
चौबीस वर्षों बाद मिली प्रोन्नति के शुभ अवसर पर हुआ है
वे प्रोन्नति नहीं
राँची वापस जाना चाहते हैं
बीमार पत्नी के सिरहाने बैठने
प्रसाद ने लिखकर प्रार्थना की है
उनकी प्रोन्नति रद्द कर दी जाए
उन्हें राँची में रहने दिया जाए ।
सचिव पूछता है
रोज़
इस केस में जल्दी क्या है
बुढ़ापे में बलगम का सूखना क्या कोई नई बात है?
और पत्नी बीमार ? उसमें प्रसाद क्या कर सकता है ?
प्रसाद जैसे कम वेतनभोगी कर्मचारी की फ़ाइल
इतनी तेजी से कैसे खिसक रही हैं
कैसे इतनी सहानुभूति बाबुओं के बीच पनप रही हैं ?
नई दिल्ली स्टेशन पर
मुम्बई की गाड़ी में चढ़ते
प्रसाद पूछते हैं
क्या रुकावट है ?