Last modified on 28 सितम्बर 2013, at 16:52

रुपगर्विता / रामकृष्ण वर्मा 'बलवीर'

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:52, 28 सितम्बर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फुलिहें अनरवा सेमर कचनरवा पलसवा गुलबवा अनन्त।
बिरहा विरवा लगायो ‘बलविरवा’ सो फुलिहें जो आयो हैं बसंत।।
रजवा करत मोर रजवा मथुरवा में हमस ब भइलीं फकीर।
हमरी पिरितिया निबाहे कैसे ऊघो,’बलबिरवा’ की जतिया अहीर।।