आस री कूख
पळयो सुपनो
ऊगती पांख्यां
उतरतो आंख्यां!
ढळणो चावै मूंडै
घुळतां-घुळतां
रळणो चावै
रसना रै रस।
चावै कूदणो
होठां थळगट
बोल बण‘र...
पूगणो है
हिवड़ै सूं हिवड़ां
मिटावणै सारू काळख।
सुवाल
मायड़ रै माण रो है!
आस री कूख
पळयो सुपनो
ऊगती पांख्यां
उतरतो आंख्यां!
ढळणो चावै मूंडै
घुळतां-घुळतां
रळणो चावै
रसना रै रस।
चावै कूदणो
होठां थळगट
बोल बण‘र...
पूगणो है
हिवड़ै सूं हिवड़ां
मिटावणै सारू काळख।
सुवाल
मायड़ रै माण रो है!