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रतनागर !/ कन्हैया लाल सेठिया

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राखै कालजे में लाय
इस्यो कठै
तळाब रो हियाव ?
आ तो समदर री खिमता
ढ़ाबै बड़वानळ सिलगता,
कांईं मजाल
आ ज्यावै चैरे पर
गिट ज्यावै
मांय री मांय भोभर,
बे ही खीरा
बणै मोती‘र हीरा
नही तो कुण कैंतो
कोरै ही लूण ने रतनागर !