गमावै
इयां ईं
परमाद में
मोत्यां मूंघी
सांसां,
थारै स्यूं तो
जबरी
मुई खाल
जकी गाळै
वजरमान लोह,
बणावै
हल रो चऊ
गांठणै री रांपी,
आवै
रोजीना
मोटो सूरज
बारणै
पण चल्यो जावै पाछो
देख‘र तनै सूतो
कैंतो की मरम री बात
जे तू
जागतो हूंतो !
गमावै
इयां ईं
परमाद में
मोत्यां मूंघी
सांसां,
थारै स्यूं तो
जबरी
मुई खाल
जकी गाळै
वजरमान लोह,
बणावै
हल रो चऊ
गांठणै री रांपी,
आवै
रोजीना
मोटो सूरज
बारणै
पण चल्यो जावै पाछो
देख‘र तनै सूतो
कैंतो की मरम री बात
जे तू
जागतो हूंतो !