Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 07:27

निरभागी / कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:27, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गमावै
इयां ईं
परमाद में
मोत्यां मूंघी
सांसां,
थारै स्यूं तो
जबरी
मुई खाल
जकी गाळै
वजरमान लोह,
बणावै
हल रो चऊ
गांठणै री रांपी,
आवै
रोजीना
मोटो सूरज
बारणै
पण चल्यो जावै पाछो
देख‘र तनै सूतो
कैंतो की मरम री बात
जे तू
जागतो हूंतो !