Last modified on 19 अक्टूबर 2013, at 08:51

हेत / चैनसिंह शेखावत

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:51, 19 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बिरखा में नीं गळ्या होवैला
तावड़ै नीं पिघळ्या होवैला
थंारै मगरां ही मांडी
होठां री सैनाणी म्हारी।
 
हां, आज ई उळझै
म्हारै कमीज रै बटण मांय
थांरो एक लांबो बाळ
आज ई ब्याळ-बगत
यादां रा जुगनू
नै’र रै पार तांई
पळकता दीसै।
 
एक हेत
अर एक विस्वास
हर्यो राखै झिरक
जिंदगाणी नैं
आज ई।