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अब त राम जी पहुनवाँ हमार भइलें राम / महेन्द्र मिश्र

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अब त राम जी पहुनवाँ हमार भइलें राम।
गारी के हमनी के सुतार भइलें राम।
खान-पान कुछो नीको ना लागेला
कवना दू नजरिया से निहार गइलें राम।
लागी लगी तब लाज कहाँ रही
हमरो पर कइसन जादू डार गइलें राम।
ना कुछो दे गइलें ना कुछो लेगइं,
नाजुक करेजवा उलझा गइलें राम।
कहत महेन्द्र मनमोहन रसिया हो,
गारी हँसी में ई तो हार गइलें राम।