Last modified on 13 नवम्बर 2007, at 23:17

वहाँ भी / अशोक वाजपेयी

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:17, 13 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी }} हम वहाँ भी जायेंगे<br> जहाँ हम कभी नहीं ज...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम वहाँ भी जायेंगे
जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे

अपनी आखिरी उड़ान भरने से पहले,
नीम की डाली पर बैठी चिड़िया के पास,
आकाशगंगा में आवारागर्दी करते किसी नक्षत्र के साथ,
अज्ञात बोली में उचारे गये मंत्र की छाया में
हम जायेंगे
स्वयं नहीं
तो इन्हीं शब्दों से-

हमें दुखी करेगा किसी प्राचीन विलाप का भटक रहा अंश,
हम आराधना करेंगे
मंदिर से निकाले गये
किसी अज्ञातकुलशील देवता की-

हम थककर बैठ जायेंगे
दूसरों के लिए की गयी
शुभकामनाओं और मनौतियों की छाँह में-

हम बिखर जायेंगे
पंखों की तरह
पंखुरियों की तरह
पंत्तियों और शब्दों की तरह-

हम वहाँ भी जायेंगे
जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे।