वक़्त की 
हथेली पर 
पड़ी दरारों ने 
आह भरी 
और धीमे से कहा 
रखूँ मैं पैर किस जगह ?
हर दरार में नफरतें 
रिश्तों की कब्र 
खोदी बैठी  हैं …. !!
 
वक़्त की 
हथेली पर 
पड़ी दरारों ने 
आह भरी 
और धीमे से कहा 
रखूँ मैं पैर किस जगह ?
हर दरार में नफरतें 
रिश्तों की कब्र 
खोदी बैठी  हैं …. !!