Last modified on 14 नवम्बर 2007, at 00:28

मुक्ति / सविता सिंह

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 14 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सविता सिंह |संग्रह=अपने जैसा जीवन / सविता सिंह }} समय की ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

समय की ख़ाली आँखों में
तैरती शताब्दियाँ
और वह उनमें तैरती मटमैली छायाओं की तरह
रोज़ मुझसे पूछती
कैसे मुक्त होऊँ