Last modified on 21 नवम्बर 2013, at 23:21

वक़्त उन का दुश्मन है / अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:21, 21 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अफ़ज़ाल अहमद सय्यद }} {{KKCatNazm}} <poem> वो क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वो किसी गैलिलियो का इंतिज़ार नहीं कर रहे हैं
एक बड़ी घड़ी तय्यार करने के लिए
जिसे शहर की एक याद-गारी दीवार में नस्ब किया जा सके

इस ख़ला में
हमारी तारीख़ की अक्कासी के अलावा
ख़्वातीन के आलमी दिन पर
झूला डाल सकता है

चीनी ताएफ़ा
बाँस से उछल कर इस में से गुज़र सकता है
इस में
एक लाश को मुख़्तसर कर के लटकाया जा सकता है

इस मोहन जोदड़ों की ईंटों से
चुना जा सकता है