Last modified on 23 नवम्बर 2013, at 20:32

कंवळी ओळूं / गौरीशंकर

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:32, 23 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौरीशंकर |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatRajasthaniRa...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

थूं राजी ना हो
म्हारै हिवड़ै री कंवळी ओळूं
म्हैं थारै गळबांथ
कांई घाली
थूं तो म्हारै माथै ई
खिंडगी पूरी री पूरी।
बाथेड़ा करतो-करतो
मरूं हूं-जीवूं हूं।
बस म्हारलै बाथेड़ां रै
उण पसेव नैं सींच!
कंवळी ओळूं!
थूं पाछी गळबांथी घालसी।