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चाँद / कन्हैया लाल सेठिया

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चाँद
अन्धेरै री पाटी पर
तारा री बारखड़ी मांडी,
अलूँघ में कठेई कठेई
गळत लिखीजगी,
बीं नै बादळ रै
आलै पूर स्यूँ पाछी
भुजाणी !