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अपणायत / कन्हैया लाल सेठिया

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आ’र
बैठग्यो
दिखाणै तांई
अमणायत
मन मैलो अंधेरो
दिवलै रै तळै
पण ओ नुगरो
निज नै छळै
जे ईयां बंध्यां
बगळै
सभाव बदळै
तो क्यां ताई बाती
तिल तिल बळै !