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इकलखोरड़ो / कन्हैया लाल सेठिया

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देख’र
खुलो झरोखो
बड़गी कमरै में
अचपळी पून
करै परदां रै गिदगिदी
बणावै कैलैन्डरां नै हिंडा
खिंडावै मैकती अगरबती रा झींटा
बैठो देखै एक टक
चांदड़ो मिनख
जको चनेक पैली
काढ दिया कूट ‘र
रमता टाबरां नै बारै !