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तिकड़ी / कन्हैया लाल सेठिया

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कोनी चावै
पोतड़ां रा अमीर
कोई बदलाव
बै कोनी चावै,क समझै
करसो’र कमतरियो
आपरी अणमोल मिणत रो मोल
जद कद भड़कै
जन चेतना री चिनगारी
कोनी बणण दै बीं नै लाय
धरमधजी, राजनेता’र धनपति
नाख’र झूठा थथापां रो ठंडो पाणी
 बतावै बै हिंसा नै पाप
 बां परोपजीव्यां रै हुवै
गरीठ जीमण स्यूं रोजीना अजीरण
कर’र हथफेरी
आ तिकड़ी
जकी खावै देस नै खुरड़ खुरड़’र
भरमा देवै भोळा मिनखां री दीठ
कोनी देख सकै बै आपरी पीठ
जकी पर लदयोड़ो है
आं तीन्यूं वरगां रो अणसमतो बोझ!