Last modified on 29 नवम्बर 2013, at 00:07

रेत (12) / अश्वनी शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:07, 29 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वनी शर्मा |संग्रह=रेत रेत धड़क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

टीले की चोटी से
लूढ़कने के उपक्रम में
लगता है
साथ ही लूढ़क रहा है टीला
किंतु टीला कभी नहीं लुढ़कता
अपनी ऊंचाई से
ऊंचाई से लुढ़कता है
आदमी ही।