Last modified on 29 नवम्बर 2013, at 00:12

रेत (14) / अश्वनी शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:12, 29 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वनी शर्मा |संग्रह=रेत रेत धड़क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रेत अलसाई-सी
यहीं पसरी रहती है
आंधियां ही आती हैं
और चली जाती है
जैसे आते-जाते हैं
सुख-दुख
आदमी के जीवन में
स्थितप्रज्ञ संन्यासी है रेत!