Last modified on 29 नवम्बर 2013, at 00:19

बालू रेत / अश्वनी शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 29 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वनी शर्मा |संग्रह=रेत रेत धड़क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बालू रेत की तासीर
कुछ अलग होती है
भुरभुरी मिटट्ी से
बालू रेत चिपकती नहीं तन पर
पर बैठ जाती है
छुपकर मन के किसी कोने में

खींच लाती है वापस
रोटी की खोज में गये
दिसावरियों को
हर साल किसी बहाने से
जात-जड़ूले, मेले-ठेले, गोठ-घूघरी

कसकती रहती है
कहीं मन में
उम्र भर।