Last modified on 13 दिसम्बर 2013, at 20:48

प्रेम-1 / सुशीला पुरी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:48, 13 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशीला पुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रेम
वक्रोक्ति नही
पर अतिश्योक्ति ज़रूर है

जहाँ
चकरघिन्नी की तरह
घूमते रहते हैं असंख्य शब्द

झूठ-मूठ के सपनों
और चुटकी भर
चैन के लिए