Last modified on 8 फ़रवरी 2014, at 14:51

संबंध / उमा अर्पिता

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:51, 8 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमा अर्पिता |अनुवादक= |संग्रह=धूप ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमारे-तुम्हारे
संबंधों के फूल
सूख कर
कांटा बन गये हैं,
और अब--
संबंधों की यही चुभन
पल-प्रतिपल
कचोटती रहती है
क्या तुम
(कुछ देर के लिए ही सही)
मेरे लिए
अमलतास
नहीं बन सकते?
क्यों कि--
तुम्हारी पहचान का लिबास
उतार फेंकना
मेरे लिए असंभव हो गया है।
संत्रस्त दीवारों से टकराती
तुम्हारी आवाजें
पुरानी यादों की
कांपती, पिघलती तस्वीरें
मेरे आँगन में उतार जाती हैं
और--
प्रत्येक निष्कर्ष हमारे बीच
कच्ची-धूप की तरह
बिछ जाता है,
तुम्हारे चेहरे का
गीलापन
मुझे सालने लगता है,
और हर बार
मुझे--
अपने निर्णय को
नया मोड़ देना पड़ता है।