Last modified on 18 फ़रवरी 2014, at 13:43

’पॉटमॉस’ से / फ़्रेडरिक होल्डरलिन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:43, 18 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़्रेडरिक होल्डरलिन |अनुवादक=अम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नज़दीक है वह सर्वशक्तिशाली
किन्तु, उसे पकड़ पाना मुश्किल है ।
तो भी, जहाँ होता है संकट
कोई हमारी रक्षा करता है ।
अँधेरी चट्टानों में
बाज रहते हैं निर्भीक
एल्प्स पर्वत के पुत्र
              लाँघते हैं खन्दक-खाइयाँ
              शून्य में झूल आए
              हलके पुलों पर चढ़कर ;
हमारे चारों ओर एकत्रित
              काल की चोटियाँ उभर आती हैं
और हमारा प्रियतम रहता है पास ही
फिर भी दुख देती है हमारी स्थिति
              उन पहाड़ों पर
              जिनके बीच हैं विस्तृत दूरियाँ
तुम हमें दो निर्दोष जलधार
              ऋण दो पंखों का
ताकि, प्रेमातुर और सच्चे मन से
                        हम यात्रा कर सकें आर-पार
                        और सुरक्षित लौट आएँ।