Last modified on 26 फ़रवरी 2014, at 16:02

बाद बिछुड़ने के / धीरेन्द्र अस्थाना

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:02, 26 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र अस्थाना }} {{KKCatKavita}} <poem>बाद ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाद बिछुड़ने के हुआ मालूम ,
वो मेरे कितने करीब थे !

था मै नाचीज़ उनके लिए पर,
मेरे लिए वो नसीब थे  !

गैरो में गिनता था खुद को ,
पाया तो वो बड़े अज़ीज़ थे !

थी जो दिले - जागीर पास मेरे ,
लूटे तो सबसे गरीब थे  !

बाद बिछुड़ने के हुआ मालूम ,
वो मेरे कितने करीब थे !