Last modified on 28 फ़रवरी 2014, at 20:51

चिरांती / रेखा चमोली

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:51, 28 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तीन मकानों के बीच
आँगन के कोने में उगे
बूढ़े, सूखे, विशाल तुन के पेड़ को
काटने के लिए
ज़रूरत है
अनुभवी चिरांती की
उसकी कुशल अँगुलियाँ
मजबूत पकड़
पैनी नज़र
काट गिराएँगी सावधानी से पेड़
किसी दीवार, घर या लोगों को
बिना नुकसान पहुँचाए
और यह भी कि
कोई टूटन या दरार
पेड़ की कीमत कम न कर दे

आदमी भले ही विवश हो
मशीन की तरह काम करने को
मशीन होने को
पर आदमी की जगह
लगभग भर चुकी मशीने
कहीं-कहीं हार भी जाती हैं ।