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हास्यबोध / विचिस्लाव कुप्रियानफ़

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स्‍वागत होता है
परिवार के मुखिया का
जब घोषणा करता है
घर में अब खाने के लिए कुछ नहीं
ऐसे हास्‍यबोध के साथ
कि हँसते-हँसते
बच्‍चों के पेट में बल पड़ जाते हैं

स्‍वागत होता है
राज्‍य के मुखिया का
जब अपनी जनता के सामने
युद्ध की घोषणा करता है
ऐसे हास्‍यबोध के साथ
कि पूरी तरह हथियारों से लैस जनता के
हँसी के मारे दाँत गिर जाते हैं

स्‍वागत होता है
संविधान के मुखिया का
जो घोषित करता है
कि हास्‍यबोध
हर अच्‍छे नागरिक का
पवित्र कर्तव्‍य है