Last modified on 6 मार्च 2014, at 12:17

चरते बादल / बुद्धिनाथ मिश्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 6 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुद्धिनाथ मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भरे हुए को भरते बादल
सोचो, यह क्या करते बादल ।
उनके खेत बरसते केवल
उनसे भी क्या डरते बादल ।
किस नदिया के आमन्त्रण पर
बनते और सँवरते बादल ।
हाँक रही है हवा पहाड़ी
बुग्यालों में चरते बादल ।
मोती चुग कर सिंधु-दुर्ग से
पंख पसार उतरते बादल ।
वृन्दावन की बात और है
वैसे, नहीं ठहरते बादल ।
देखो कभी गौर से नभ में
बाने कितने धरते बादल ।