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पास / पवन करण

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तुम्हारे पास था तो तुम्हारा जूता था
जिसे पहनकर तुम नोकों पर भी
चलने से नहीं हिचकते थे

तुम्हारे पास था तो तुम्हारा चदरा था
जिसके हवाले तुम अपना
पसीना और बदबू करते रहते थे

तुम्हारे पास था तो तुम्हारे घर की
नाली था जिसे तुम अपनी
पेशाब और थूक से भरे रहते थे

जब तक तुम्हारे पास था, तो था
जबसे तुमसे दूर हूँ, तो हूँ