गति हिंसा है
शक्ति हिंसा है
वज़न हिंसा है
तितली
प्रकाश में सुरक्षा चाहती है
वज़नहीन
लहरदार ढंग से उड़ना चाहती है
मगर वहाँ
जहाँ रास्ते काटते हैं एक-दूसरे को
होटल की रोशनी गिरती है
ढीठ राजमार्गों पर
पेड़ों के पीछे
मिलते हैं हमारे इलाके जहाँ
भरपूर ताक़त से भरा
मैं आता हूँ
और कोमल, सौन्य तितली
चमकदार पीले रंग वाली
अर्पित कर देती है ख़ुद को
उपहार में
मेरी सख़्त चिकनी ढाल पर