Last modified on 28 नवम्बर 2007, at 20:21

जयशंकर प्रसाद / परिचय

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:21, 28 नवम्बर 2007 का अवतरण

महाकवि के रूप में सुविख्यात जयशंकर प्रसाद (१८८९-१९३७) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। तितली, कंकाल और इरावती जैसे उपन्यास और आकाशदीप, मधुआ और पुरस्कार जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अपूर्व ऊँचाइयाँ हैं।

जीवन परिचय

  • जन्म: ३० जनवरी १८९० को वाराणसी में। स्कूली शिक्षा आठवीं तक किंतु घर पर संस्कृत, अंग्रेज़ी, पाली, प्राकृत भाषाओं का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, साहित्य और पुराण कथाओं का एकनिष्ठ स्वाध्याय। पिता देवी प्रसाद तंबाकू और सुंघनी का व्यवसाय करते थे और वाराणसी में इनका परिवार सुंघनी साहू के नाम से प्रसिद्ध था।
  • छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक। एक महान लेखक के रूप में प्रख्यात। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करूणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। ४८ वर्षो के छोटे से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएं।
  • १४ जनवरी १९३७ को वाराणसी में निधन

प्रमुख रचनाएं

काव्य

नाटक

स्कंदगुप्त चंद्रगुप्त ध्रुवस्वामिनी जन्मेजय का नाग यज्ञ राज्यश्री

कहानी संग्रह

छाया प्रतिध्वनि आकाशदीप आंधी इन्द्रजाल

उपन्यास

कंकाल तितली इरावती