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लेट कर जब मैंने
दर्पण में झाँका
और बगीचे के हरेपन को
देखने की कोशिश की
दर्पण में दिखाई दिया मुझे
प्रतिबिम्ब आसमान का ।
ऎसा लगा अचानक
जैसे किसी ने
आँखों पर मेरी किया हो वार
बेहोश हो गया मैं
सिर चकराने लगा मेरा
कठोर था, बेहद कठोर
अनुभव का यह प्रहार ।
दर्द से सिर