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तुम मेरी विधवा आठ बरस से-4 / नाज़िम हिक़मत

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बादल गुज़रते हैं : ख़बरों से लदे हुए । भारी

तुम्हारी वह चिट्टी जो अभी मिली नहीं मुझे, उसे गुड़ी-मुड़ी करता हूँ

दिल के आकार की बरौनियों की नोकों पर :

पुलक उठती है असीम धरती ।

और बहुत ज़ोरों से मन हो रहा है कि चिल्लाऊँ : पी..रे...

पी..रे..


पीरे=नाज़िम हिक़मत की दूसरी पत्नी का नाम