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दृष्टान्त / फ़्योदर त्यूत्चेव

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एक क्षण होता है रात में सर्वव्यापी मौन का,
घटनाओं और आश्चर्यों के उस क्षण
ब्रह्माण्ड का जीवन्त रथ
आकाश-मन्दिर की परिक्रमा करता है निर्विघ्न ।

तब रात गहरी होने लगती है ज्यों समुद्र में बवण्डर,
एटलस की तरह धरती पर बोझ डालती है स्मृतिहीनता,
कविता के निष्कलंक हृदय को
दिव्य सपनों में उद्वेलित करते हैं देवगण

रचनाकाल : 1828-1829