Last modified on 21 अप्रैल 2014, at 14:57

प्रेम-1 / निवेदिता

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:57, 21 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निवेदिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम हो मेरी सघन इच्छाओं की तरह
इच्छाएं बांध लेती हैं मुझे
प्यार के सांचे में ढ़ाल देती हैं.