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प्रेम-2 / निवेदिता

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हमारे बीच सिर्फ शब्द यात्रा करते हैं
दूर पहाडि़यों से उतरते है शब्द
नदी, झरनों में तैरते हुए
भीगे - भीगे से पहुँचते है