Last modified on 22 अप्रैल 2014, at 11:41

ईश्वर / निरंजन श्रोत्रिय

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:41, 22 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरंजन श्रोत्रिय |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ईश्वर है
कि बस पहाड़ पर लुढ़कने से बच गई
बच्चे लौट आए स्कूल से सकुशल
पिता चिंतामुक्त माँ हँस रही है
प्रसव में जच्चा -बच्चा स्वस्थ हैं
दोस्त कहता है कि याद आती है
षड़यंत्रों के बीच बचा हुआ है जीवन
रसातल को नहीं गई पृथ्वी अभी तक।

तुम डर से
भोले विश्वासों में तब्दील हो गए हो
ईश्वर बाबू!