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फुटपाथ बिछौने हैं / ब्रजमोहन

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अपने नीचे सड़कों के फुटपाथ बिछौने हैं

कोई खिलौना मांग न बेटे! हम ही खिलौने हैं


कच्चे-पक्के, टूटे-फूटे
मन-सा घर का सपना
सपनों की दुनिया में ही तो
जीता है सुख अपना

उजड़े हुए चमन में ही तो सपने बोने हैं


दुख के झूले पर जीवन की
लम्बी पींग बढ़ाना
पत्ता-पत्ता नींद से जागे
ऎसे पेड़ हिलाना

हार न जाना, छाँव-फूल-फल अपने होने हैं