अचकची खाय
तोड़ काढ्यो
जद तूं
थारै अर म्हारै बिचाळै रो
हरेक रिस्तो
पण
रिस्तो फेर भी हो
आपां रै बिच्चै....
कोई रिस्तो नीं होवण रो रिस्तो।
अचकची खाय
तोड़ काढ्यो
जद तूं
थारै अर म्हारै बिचाळै रो
हरेक रिस्तो
पण
रिस्तो फेर भी हो
आपां रै बिच्चै....
कोई रिस्तो नीं होवण रो रिस्तो।