Last modified on 14 मई 2014, at 07:12

लाय / संजय आचार्य वरुण

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:12, 14 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय आचार्य वरुण |संग्रह=मंडाण / न...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हर काची-पाकी
काया रै भांडै
वै लगा दी है-
एक लाय।
उणसूं
वंारै घरां मांय
हो रैयो है
अवस ही चानणो
पण हर काया लागी
उण लाय सूं
राख बणतो जा रैयो है
उण काया मांय
रैवण वाळो मिनख।