Last modified on 14 मई 2014, at 07:13

लाय / संजय आचार्य वरुण

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:13, 14 मई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हर काची-पाकी
काया रै भांडै
वै लगा दी है-
एक लाय।
उणसूं
वांरै घरां मांय
हो रैयो है
अवस ही चानणो
पण हर काया लागी
उण लाय सूं
राख बणतो जा रैयो है
उण काया मांय
रैवण वाळो मिनख।