Last modified on 8 दिसम्बर 2007, at 01:05

डस्टर / ज्ञानेन्द्रपति

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:05, 8 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञानेन्द्रपति }} आकाश के सुनील बोर्ड पर हवाओं की लिख...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आकाश के सुनील बोर्ड पर

हवाओं की लिखत को पोंछता

डस्टर फिरता है एक पतंग का


--मास्टर जी रविवार की छत पर खड़े हैं, बांधे बाँह

पश्चिम क्षितिज के सम्मुख

वे कुछ राशियाँ थीं रह-रह जोड़ी जातीं--हवाओं की लिखत

रिटायरमेंट के क़रीब मास्टर जी जिन्हें मन ही मन गुनते रहते हैं अक्सर