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सुवटियो / देवकरण जोशी

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सुवटियो उडग्यो
पींजरो छोड’र
आभै कानीं
जणां पींजरै नैं सजायो
उण मांय दाणां न्हाख्या
अर मधरा गीत ई गाया
सुवटियो इसो हो
सुवटियो बिसो हो
सुवटियै री याद मांय
झूठ रा आंसू टपकाया।
 
जद तांई सुवटियो
पींजरै मांय हो
दाणै-दाणै सारू
तरसतो रैयो
तिरस मरतो रैयो
पण
पाणी रो एक टोपो
नीं मिल्यो सुवटियै नैं।