Last modified on 21 मई 2014, at 14:04

मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती / सूरदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती ॥ध्रु०॥
सुनीरी सखी श्रवण दे अब तुजेही बिधि हरिमुख राजती ॥१॥
करपल्लव जब धरत सबैलै सप्त सूर निकल साजती ॥२॥
सूरदास यह सौती साल भई सबहीनके शीर गाजती ॥३॥